Friday, September 28, 2012

shirdi sai teachings श्री साईं-कथा आराधना



*********************
श्री साईं-कथा आराधना (भाग -13)
*********************

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

किस काम में भक्तों का भला साईं ही जानते
हर भक्त को सदा इसलिए वो ही काम कराते
भक्तों के लिए कल्पतरू हैं श्री साईंनाथ
असंभव को संभव बनाते श्री साईंनाथ
शामा श्री साईं का अनन्य भक्त था
बाबा की कृपादृष्टि से वो भरा-पूरा था
बाबा की लीलाएं किसी की समझ में न आईं
शामा हेतु रामदास की पोथी चुराई
रामदास हठी था, वो शामा से भिड़ गया
बाबा के समझाने पर वह शांत हो गया
निज पोथी के बदले पंचरत्नी गीता थी पाई
दोनों के लिए क्या सही, ये जानते थे साईं

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

जब कष्ट अधिक देने लगी नासूर की पीड़ा
तब पिल्लई जी दुखी हो गए और अति अधीरा
वे मन ही मन बाबा से विनती करने लगे
जहां में तुम सा कोई नहीं कहने ये लगे
बाबा ने अचानक उसे मस्ज़िद में बुलाया
और अब्दुल को ही उसका चिकित्सक था बनाया
फिर अब्दुल का पैर घाव पे पड़ गया
समझाने-बुझाने का तो वक्त ही निकल गया
पहले पिल्लई चिल्लाए, फिर शांत हो गए
और गाने की मस्ती में वो खो गए
जहां में नुमायां तेरी ही शान है
तू ही दीनों आलम का सुल्तान है

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए.......

*********************
श्री साईं-कथा आराधना (भाग-12)
*********************

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

संजीवनी समान ऊदी देते साईंनाथ
माथे पे सबके लगा दुआ देते साईंनाथ
ऊदी ने ऐसे-ऐसे चमत्कार दिखाए
जैसे साईं से सारा जग जीवन है पाए
जब एक बार मैना की प्रसव-पीड़ा बढ़ गयी
तब बाबा की ऊदी उसकी रक्षक बन गयी
स्वयं साईं ही गाड़ी ले जामनेर थे आए
पर अपनी इस लीला को थे सबसे छुपाये
ऊदी का घोल पीने से सब ठीक हो गया
मैना के सुत से हर दिल प्रसन्न हो गया
कोई ना जान सका था प्रभु की ये माया
भक्तों की खातिर बाबा ने हर रूप बनाया

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

मेधा का भ्रम दूर करने की चाह में
सपने में साईं ने उसे त्रिशूल था दिया
शिव चरणों में फिर अपनी प्रीत के कारण
मेधा ने बाबा को शिव-शंकर ही मान लिया
साईं का न कोई रूप था और न कोई अंत
सर्वभूतों में व्याप्त श्री साईं थे अनंत
साईं साईं साईं साईं जिसने जप लिया
भव के सागर से वो तो पार उतर गया
जो भी श्री साईं का नित स्तुति है गाता
बिन मांगे वो सब ही शीघ्र है पाता
मेधा की मौत पे साईं ने शोक जताया
और उसको अपना सच्चा भक्त बताया

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए.......


**********************
श्री साईं-कथा आराधना (भाग - 11 )
**********************

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

शिर्डी में एक बार भजन मंडली आई
भजनों से धन कमाने का संग लक्ष्य भी लाई
मंडली बहुत ही सुन्दर भजन गाती थी
उनमें से एक स्त्री बाबा पे श्रद्धा रखती थी
साईं उसकी भक्ति से उस पर प्रसन्न हो गए
श्री राम रूप में उसे दर्शन भी देदिए
निज ईष्ट के दर्शन से वह द्रवित हो गई
आँखों से उसके आंसुओं की धारा बह गई
वो प्रेम में डूब-डूब नाचने लगी
खुश हो-हो कर ताली बजाने लगी
श्री साईं के चरणों में फिर ऐसी दृष्टि गड़ गई
मन से वह शांत, स्थिर और संतृप्त हो गई

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

शिर्डी आना-जाना सब साईं के वश में
भक्तों की चाह को वो पूरी करते हैं पल में
उनकी इच्छा बिना न कोई शिर्डी से जा सका
साईं की मर्ज़ी के बिना ना शिर्डी ही आ सका
काका जी एक बार आना चाहते थे शिर्डी
बाबा की इच्छा से ही शामा संग आ गए शिर्डी
बाबा की छवि देख काका तृप्त हो गए
लीलाएं उनकी सुनकर शरणागत ही हो गए
ठीक ऐसे ही बाबा ने रामलाल को कहा
सपने में उसके शिर्डी आने को कहा
गद्गद् हो कर रामलाल शिर्डी आ गया
फिर शिर्डी से कहीं और नहीं वो गया

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए...........

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !

Sai Aartian साईं आरतीयाँ