श्री साईं-कथा आराधना
शिरडी के साईं ईश्वर
का अवतार थे भक्तों,
दुखियों के दुःख हरने को आये थे वो, भक्तों !
श्री साईं गाथा सुनिए,
जय साईंनाथ कहिए !
गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन से था कहा
जब-जब बढ़ेगा पाप, धरा पे मैं आऊंगा,
करुणा के रूप में वो बन साईं आ गए
और साईं बाबा बनकर दुनिया में छा गए
प्रकटा है संत शिर्डी में सब लोगों ने कहा,
एक झलक उसकी पाने को हर दिल मचल गया ,
वो नौजवान फकीर समाधी मे लीन था,
चारों ओर उसके फैला प्रकाश था
अल्लाह है सबका मालिक वो कहता था सदा
बस नीम के ही नीचे बैठा रहता था सदा
उसकी छवि को देख के व्याकुल थे सबके मन
चरणों में कुछ ने कर दिया सर्वस्व था अर्पण
श्री साईं गाथा सुनिए,
जय साईंनाथ कहिए !
लोगों ने उससे एक दिन पूछ ही लिया
तुम कौन हो, यहां क्यूं डेरा ही डाल दिया
इस पेड़ के नीचे मेरे गुरु की है समाधी
बाबा ने उन्हें यह बतला कर शांत कर दिया
गाँव वालों ने फिर उसकी इस बात को परखा
उस जगह के दृश्य का अपना ही था जलवा
समाधी पे कुछ ताज़े फूल थे बिखरे
और चारों कोनों पे जल रहे थे दीये
ऐसा देख लोगों की श्रद्धा बढ़ गई
आपस में उसके बारे में चर्चाएं मिट गई
किसी ने बाबा को दिव्य पुरुष मान लिया
तो किसी ने बाबा को इश्वर ही मान लिया
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईं नाथ कहिए............