Thursday, May 31, 2012


गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान |
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान ||
कबीर वाणी 
गुरु के समान कोई दाता नहीं, और शिष्य के सदृश याचक नहीं | त्रिलोक की सम्पत्ति से भी बढकर ज्ञान - दान गुरु ने दे दिया |

ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं 
ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥

साईं वचन - हमको किसी भी व्यक्ति की सुंदरता अथवा कुरूपता से परेशान नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके रूप में निहित ईश्वर पर ही मुख्य रूप से अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए|

Monday, May 21, 2012


करन करावनहारा तू, भक्तों का आधारा तू |हमारा सबका प्यारा तू, साईं अपरम्पारा तू ||
साईं शक्ति विराट है, अजब अनोखे रूप,जाती पाती या धरम का, नहीं रहा कोई रूप,
प्राणी सभी समान है, सब में तेरा रूप,
सबको सब वंदन करें,पावें साईं रूप 

ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
साईं वचन - "जब तक किसी से कोई पूर्व नाता या सम्बन्ध न हो , तब तक कोई भी किसी के समीप नहीं जाता"

Thursday, May 3, 2012

श्री गुरु वंदना

श्री गुरु वंदना 
सतगुरु देवा नारायणा  कृपा   सिन्धु सुखधाम |
सतगुरु साईं सतगुरु दाता सतगुरु सोयम राम |
सतगुरु काली सतगुरु चण्डी सतगुरु मात भवानी |
गुरु गणेश सतगुरु महेश जय गुरुदेव नमामी | 

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ