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श्री साईं-कथा आराधना (भाग-8 )
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
जो काम, क्रोध, अहंकार में है दब गया,
वो इंसान जीते जी मानों मर गया
उस व्यक्ति को ब्रह्मज्ञान प्राप्त कैसे हो सकता,
जो इंसान मोह-माया में उलझ गया
बाबा के पास ऐसा ही एक व्यक्ति आया,
वो ब्रह्मज्ञान चाहता पर उससे छूटी न माया
बाबा ने उसे जेब की ब्रह्मरूपि माया को दिखाया
साईं की सर्वज्ञाता से वह द्रवित हो गया
साईं के चरणों में गिरकर वो माफ़ी मांगने लगा
रोने लगा और गिड़गिड़ाने भी लगा
बाबा की शिक्षा का उसपे फिर असर पड़ गया
संतोषपूर्वक वो अपने घर को लौट गया
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
साईं ने हेमांड से जो था लिखाया,
जिसने भी आत्मसात् किया, मुक्ति पा गया
फिर दासगणु को भी आशीष दे दिया
वो भी साईं चरणों में जगह पा गया
बाबा का यश फिर चारों और फैल गया
और देखते ही देखते शिर्डी तीर्थ बन गया
साईं दोनों हाथों से ऊदी को देते
भक्तों के कल्याण हेतु शिक्षा भी देते
बाबा की छवि थी सारे जग से ही न्यारी
लीलाएं उनकी अनंत थी, बड़ी चमत्कारी
साईं के हृदय में भक्तों के प्रति असीम प्रेम था,
जो उसका हो गया, वो बड़ा खुशनसीब था
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए.......