Tuesday, September 18, 2012

श्री साईं-कथा आराधना (भाग-5)



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श्री साईं-कथा आराधना (भाग-5)
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

श्री साईं ने सब धर्मों का था भेद मिटाया
रामनवमी के संग-संग उर्स मनाया
सब ही धर्मों का मालिक एक है भाई
हर भक्त को येही शिक्षा देते थे साईं
जब जिसने जिस भाव में साईं को ध्याया
वैसे ही रूप में साईं ने खुद को दिखाया
कोई उन्हें अपने गुरु रूप में पाता
कोई उन्हें ईश मान सिर को झुकाता
साईं के प्रति सबके दिल में सम्मान था रहता
कोई उन्हें चन्दन, कोई इत्र लगाता
लाखों बार धन्य है वो धरती माता
प्रकटे जहाँ पे श्री शिर्डी के नाथा

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

हर प्राणी में इश्वर का वास बताया,
सब जीवों से प्यार करो ये भी सिखाया
भूखे को दिए भोजन में स्वयं को तृप्त दिखाकर
इस सृष्टि में खुद होने का आभास कराया
दिखने में साईं एक सामान्य पुरुष थे
मात्र भक्तों के कल्याण की चिंता में रहते थे
वैराग्य, तप, ज्ञान, योग उनमें भरा था
वो सत्पुरुष एकदम आसक्ति रहित था
शरणागत भक्तों के साईं बने आश्रयदाता,
हर जन के वो प्रभु, सबके भाग्य विधाता
उनके भक्तों का उन पर अटूट प्रेम था
श्री साईं का दिव्य स्वरुप ऐसा ही था

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए.........

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