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श्री साईं-कथा आराधना (भाग - 4)
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
श्री साईं को फूलों से बेहद लगाव था
बच्चों की भांति उनका उन्हें बड़ा ध्यान था
बाबा नित पौधों को खुद जल से सींचते
जल के लिए घड़े वामन तात्या ही देते
शिर्डी है भाग्यशाली, उसने पाया है हीरा
गंगागीर संत ने ऐसा कहा होके अधीरा
बाबा की मेहनत से वहां फुलवारी बन गयी
भक्तों की साईं में और श्रद्धा बढ़ गई
श्री साईं जिस नीम के नीचे रहते थे
उसके पत्ते कडवे नहीं, बड़े ही मीठे थे
उसके नीचे ही पादुकाएं स्थापित हो गई
जो साईं-अवतरण की प्रतीक बन गई
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
बाबा रोज़ मस्जिद में दीपक जलाते थे
बनियों से भिक्षा में वो तेल मांग लाते थे
एक रोज़ दिवाली पे किसी ने तेल ना दिया
बाबा ने फिर भी उन्हें आशीष ही दिया
बाबा ने उस रात भी दीवाली थी मनाई
सारी रात पानी से ज्योति जगाई
ये देख लोग अत्यंत शर्मिंदा हो गए
और साईं के चरणों में नतमस्तक हो गए
बाबा ने अहं त्यागने की बात उनसे की
कोई शिकता, कोई शिकायत ना उनसे की
बाबा की इस लीला से सब हैरान हो गए
और साईं ही भगवान हैं ऐसा वे मान गए
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए............