Wednesday, December 25, 2013

तुलसी के १०८ नाम


तुलसी के १०८ नाम 
ॐ श्री तुलस्यै नमः 
ॐ नंदिन्यै नमः 
ॐ देव्यै नमः 
ॐ शिखिन्यै नमः 
ॐ धारिण्यै नमः 
ॐ धात्र्यै नमः 
ॐ स्वित्र्यै नमः 
ॐ सत्यसंधायै नमः 
ॐ कलहरिण्यै नमः 
ॐ गौर्यै नमः 
ॐ देवगीतायै नमः 
ॐ द्रवीयस्यै नमः 
ॐ पद्मिन्यै नमः 
ॐ सीतायै नमः 
ॐ रुक्मिन्यै नमः 
ॐ प्रियभूषणायी नमः 
ॐ श्रेयस्यै नमः 
ॐ श्रीमतये नमः 
ॐ मन्ययाई नमः 
ॐ गौर्यै नमः 
ॐ गौतमर्चितायै नमः 
ॐ त्रेतायै नमः 
ॐ त्रिपथगायै नमः 
ॐ त्रिपदायै नमः 
ॐ त्रिमूर्त्या नमः 
ॐ जगत्रायायै नमः 
ॐ त्रासिन्यै नमः 
ॐ गात्रयी नमः 
ॐ गत्रियायै नमः 
ॐ गर्भवारिण्यै नमः 
ॐ शोभनयै नमः 
ॐ समायी नमः 
ॐ द्विरदायै नमः 
ॐ अरदयी नमः 
ॐ यज्ञविद्यायै नमः 
ॐ महाविद्यायै नमः 
ॐ गुह्यविद्यायै नमः 
ॐ कमक्सयै नमः 
ॐ कुलायै नमः 
ॐ श्रीयाई नमः 
ॐ भूम्यै नमः 
ॐ भवित्र्यै नमः 
ॐ स्वित्र्यै नमः 
ॐ सर्वेदविदंवरायै नमः 
ॐ श . कहिन्यै नमः 
ॐ चक्रिन्यै नमः 
ॐ चारिण्यै नमः 
ॐ चापलेक्सानायै नमः 
ॐ पीताम्बरायै नमः 
ॐ प्रोत समायी नमः 
ॐ सौरसायी नमः 
ॐ अक्सिन्यै नमः 
ॐ अम्बयै नमः 
ॐ सरस्वत्यै नमः 
ॐ संश्रयायै नमः 
ॐ सर्व देवत्यै नमः 
ॐ विश्वश्र्य्यै नमः 
ॐ सुगन्धिन्यै नमः 
ॐ सुवसनायै नमः 
ॐ वरदायै नमः 
ॐ सुश्रोणीऐ नमः 
ॐ चंद्रभागयी नमः 
ॐ यमुनाप्रियायै नमः 
ॐ कवरयै नमः 
ॐ मणिकर्णिकायै नमः 
ॐ अर्चिण्यै नमः 
ॐ स्थायिनयी नमः 
ॐ दानप्रदायै नमः 
ॐ धनवत्यै नमः 
ॐ सोच्यमनसयी नमः 
ॐ शुचिन्यै नमः 
ॐ श्रेयस्यै नमः 
ॐ प्रीतिचिनटेक्सान्यी नमः 
ॐ विभूतये नमः 
ॐ आकृत्यै नमः 
ॐ आविर्भूत्यै नमः 
ॐ प्रभविण्यै नमः 
ॐ गन्धिन्यै नमः 
ॐ स्वर्गिन्यै नमः 
ॐ गड़ाये नमः 
ॐ विद्यायै नमः 
ॐ प्रभायी नमः 
ॐ सरस्यै नमः 
ॐ सरसिवसायी नमः 
ॐ सरस्वत्यै नमः 
ॐ शरवत्यै नमः 
ॐ रासिन्यै नमः 
ॐ कलिन्यै नमः 
ॐ श्रेयोवत्यै नमः 
ॐ यमयी नमः 
ॐ ब्रह्मपरियायै नमः 
ॐ श्यामसुन्दरायै नमः 
ॐ रत्नरूपिण्यै नमः 
ॐ शमानिधिनयी नमः 
ॐ शतानंदायै नमः 
ॐ शतद्युतये नमः 
ॐ शीतिकण्ठाये नमः 
ॐ पर्यायी नमः 
ॐ धात्र्यै नमः 
ॐ श्री वृन्दवण्यै नमः 
ॐ कृष्णायै नमः 
ॐ भक्तवत्सलायै नमः 
ॐ गोपीकक्रीडायै नामाह 
ॐ हरये नमः 
ॐ अमृतरूपिण्यै नमः 
ॐ भूम्यै नमः 
ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः 
ॐ श्री तुलस्यै नमः
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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

god is one


Tuesday, December 24, 2013

प्रात:काल ब्रह्म:प्रणाम


ब्रह्म:प्रणाम 
ॐ वेदात्मने च विद्मिहे हिरण्यगर्भा धीमहि! तन्नो: ब्रह्म: प्रचोदयात!! 
ॐ चतुर्मुखाय विद्मिहे कमण्डलुधाराय धीमहि! तन्नो: ब्रह्म: प्रचोदयात!!

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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

Sunday, December 22, 2013

सूर्य नमस्कार


सूर्य नमस्कार
नमो नम: कारणकारणाय नमो पापविमोचनाय!
नमो नमस्ते दितिजार्दनाय नमो नमो रोगविमोचनाय!!
नमो नम: सर्व वरप्रदाय नमो नम: सर्वसुखप्रदाय!
नमो नम: सर्वधनप्रदाय नमो नम: सर्वमतिप्रदाय !!
*****************
अथ सूर्य कवचं!!
ॐ अम् आम् इम् ईं शिरः पातु ॐ सूर्यो मन्त्रविग्रहः!
उम् ऊं ऋं ॠं ललाटं मे ह्रां रविः पातु चिन्मयः!!१ !!
ऌं ॡम् एम् ऐं पातु नेत्रे ह्रीं ममारुणसारथिः !
ॐ औम् अम् अः श्रुती पातु सः सर्वजगदीश्वरः!! २ !! 
कं खं गं घं पातु गण्डौ सूं सूरः सुरपूजितः!
चं छं जं झं च नासां मे पातु यार्म् अर्यमा प्रभुः !!३!!
टं ठं डं ढं मुखं पायाद् यं योगीश्वरपूजितः !
तं थं दं धं गलं पातु नं नारायणवल्लभः !!४!!
पं फं बं भं मम स्कन्धौ पातु मं महसां निधिः!
यं रं लं वं भुजौ पातु मूलं सकनायकः!!५!!
शं षं सं हं पातु वक्षो मूलमन्त्रमयो ध्रुवः!
लं क्षः कुक्ष्सिं सदा पातु ग्रहाथो दिनेश्वरः!!६!! 
ङं ञं णं नं मं मे पातु पृष्ठं दिवसनायकः !
अम् आम् इम् ईम् उम् ऊं ऋं ॠं नाभिं पातु तमोपहः!! ७!! 
ऌं ॡम् एम् ऐम् ॐ औम् अम् अः लिङ्गं मे‌உव्याद् ग्रहेश्वरः! 
कं खं गं घं चं छं जं झं कटिं भानुर्ममावतु !!८!!
टं ठं डं ढं तं थं दं धं जानू भास्वान् ममावतु !
पं फं बं भं यं रं लं वं जङ्घे मे‌உव्याद् विभाकरः !!९!! 
शं षं सं हं लं क्षः पातु मूलं पादौ त्रयितनुः!
ङं ञं णं नं मं मे पातु सविता सकलं वपुः !!१०!! 
सोमः पूर्वे च मां पातु भौमो‌உग्नौ मां सदावतु!
बुधो मां दक्षिणे पातु नैऋत्या गुररेव माम् !!११! 
पश्चिमे मां सितः पातु वायव्यां मां शनैश्चरः! 
उत्तरे मां तमः पायादैशान्यां मां शिखी तथा !१२!! 
ऊर्ध्वं मां पातु मिहिरो मामधस्ताञ्जगत्पतिः !
प्रभाते भास्करः पातु मध्याह्ने मां दिनेश्वरः !!१३!! 
सायं वेदप्रियः पातु निशीथे विस्फुरापतिः! 
सर्वत्र सर्वदा सूर्यः पातु मां चक्रनायकः !!१४!! 
रणे राजकुले द्यूते विदादे शत्रुसङ्कटे! 
सङ्गामे च ज्वरे रोगे पातु मां सविता प्रभुः!!१५!! 
ॐ ॐ ॐ उत ॐउऔम् ह स म यः सूरो‌உवतान्मां भयाद्
ह्रां ह्रीं ह्रुं हहहा हसौः हसहसौः हंसो‌உवतात् सर्वतः! 
सः सः सः सससा नृपाद्वनचराच्चौराद्रणात् सङ्कटात्
पायान्मां कुलनायको‌Sपि सविता ॐ ह्रीं ह सौः सर्वदा!!१७!! 
द्रां द्रीं द्रूं दधनं तथा च तरणिर्भाम्भैर्भयाद् भास्करो
रां रीं रूं रुरुरूं रविर्ज्वरभयात् कुष्ठाच्च शूलामयात् !
अम् अम् आं विविवीं महामयभयं मां पातु मार्तण्डको
मूलव्याप्ततनुः सदावतु परं हंसः सहस्रांशुमान् !१७!!

Thursday, December 19, 2013

विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की एक कहानी



भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की एक कहानी
एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बेठे बेठे बोर होगये, ओर
उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन में  किया, वेसे भी कई साल
बीत गये थे धरती पर आये, ओर वह अपनी यात्रा की तेयारी मे लग
गये, स्वामी को तेयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा !!आज सुबह
सुबह कहाँ  जाने कि तेयारी हो रही है?? विष्णु जी ने कहा हे
लक्ष्मी मै धरती लोक पर घुमने जा रहा हुं, तो कुछ सोच कर
लक्ष्मी मां ने कहा ! हे देव क्या मै भी आप के साथ चल
सकती हुं???? 
भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फ़िर कहा एक शर्त
पर, तुम मेरे साथ चल सकती हो तुम धरती पर पहुच कर उत्तर
दिशा की ओर बिलकुल मत देखना, इस के साथ ही माता लक्ष्मी ने
हां कह के अपनी मनवाली।
ओर सुबह सुबह मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु धरती पर पहुच गये,
अभी सुर्य देवता निकल रहे थे, रात बरसात हो कर हटी थी,
चारो ओर हरियाली ही हरियाली थी, उस समय चारो ओर बहुत
शान्ति थी, और धरती बहुत ही सुन्दर दिख रही थी, और
मां लक्ष्मी मन्त्र मुग्ध हो कर धरती को देख रही थी, और भुल गई
कि पति को क्या वचन दे कर आई है?और चारो ओर देखती हुयी कब
उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला।
उत्तर दिशा में मां लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर
आया, और उस तरफ़ से भीनी भीनी खुशबु आ रही थी,और बहुत
ही सुन्दर सुन्दर फ़ुल खिले थे,यह एक फ़ुलो का खेत था, और
मां लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत मे गई और एक सुंदर सा फ़ुल
तोड़ लाई, लेकिन यह क्या जब मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास
वापिस आई तो भगवान विष्णु की आंखो में आंसु थे, और भगवान
विष्णु ने मां लक्ष्मी को कहा कि कभी भी किसी से बिना पुछे उस
का कुछ भी नही लेना चाहिये, ओर साथ ही अपना वचन भी याद
दिलाया।
मां लक्ष्मी को अपनी भुल का पता चला तो उन्होने भगवान विष्णु से
इस भुल की माफ़ी मागी, तो भगवान विष्णु ने कहा कि जो तुम ने
जो भुल की है उस की सजा तो तुम्हे जरुर मिलेगी?? जिस माली के
खेत से तुम नए बिना पुछे फ़ुल तोडा है, यह एक प्रकार की चोरी है,
इस लिये अब तुम तीन साल तक माली के घर नौकर बन कर रहॊ, उस
के बाद मै तुम्हे बैकुण्ठ मे वपिस बुलाऊंगा, मां लक्ष्मी ने चुपचाप
सर झुका कर हां कर दी( आज कल की लक्ष्मी थोडे थी?
ओर मां लक्ष्मी एक गरीब ओरत का रुप धारण करके , उस खेत के
मालिक के घर गई, घर क्या एक झोपडा था, और मालिक का नाम
माधव था, माधब की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटिया थी , सभी उस
छोटे से खेत में काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे,
मां लक्ष्मी जब एक साधारण और गरीब औरत बन कर जब माधव के
झोपडे पर गई तो माधव ने पुछा बहिन तुम कौन हो?और इस समय
तुम्हे क्या चाहिये? तब मां लक्ष्मी ने कहा ,मै एक गरीब औरत हूँ 
मेरी देख भाल करने वाला कोई नही, मेने कई दिनो से
खाना भी नही खाया मुझे कोई भी काम देदॊ, साथ में मै तुम्हारे घर
का काम भी कर दिया करुगी, बस मुझे अपने घर में  एक कोने में 
आसरा देदो? माधाव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था, उसे
दया आ गई, लेकिन उस ने कहा, बहिन मै तो बहुत ही गरीब हुं,
मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुश्किल से चलता है, लेकिन अगर
मेरी तीन की जगह चार बेटीयां  होती तो भी मेने गुजारा करना था,
अगर तुम मेरी बेटी बन कर जेसा रुखा सुखा हम खाते है उस मै खुश
रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।
माधाव ने मां लक्ष्मी को अपने झोपडे में शरण दे दी, और
मां लक्ष्मी तीन साल उस माधव के घर पर नोकरानी बन कर रही;
जिस दिन मां लक्ष्मी माधव के घर आई थी उस से दुसरे दिन
ही माधाव को इतनी आमदनी हुयी फ़ुलो से की शाम को एक गाय
खरीद ली,फ़िर धीरे धीरे माधव ने काफ़ी जमीन खारीद ली, और सब ने
अच्छे अच्छे कपडे भी बनबा लिये, ओर फ़िर एक बडा पक्का घर
भी बनबा लिया, बेटियो ओर बीबी ने गहने भी बनबा लिये, और अब
मकान भी बहुत बड़ा बनवा लिया था।
माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद
मिला है, इस बेटी के रुप मे मेरी किस्मत आ गई है मेरी, और अब
२-५ साल बीत गये थे, लेकिन मां लक्ष्मी अब भी घर में और खेत में 
काम करती थी, एक दिन माधव जब अपने खेतो से काम खत्म करके
घर आया तो उस ने अपने घर के सामने दुवार पर एक देवी स्वरुप
गहनो से लदी एक औरत को देखा, ध्यान से देख कर पहचान
गया अरे यह तो मेरी मुहं बोली चोथी बेटी यानि वही औरत  है, और
पहचान गया कि यह तो मां लक्ष्मी है.
अब तक माधव का पुरा परिवार बाहर आ गया था, और सब हैरान 
हो कर मां लक्ष्मी को देख रहै थे,माधव बोला है मां हमे माफ़ कर दो हम
ने तेरे से अंजाने में ही घर और खेत मे काम करवाया, हे मां यह
केसा अपराध हो गया, हे मां हम सब को माफ़ कर दे
अब मां लक्ष्मी मुस्कुराई ओर बोली हे माधव तुम बहुत ही अच्छे और
दयालु व्यक्त्ति हो, तुम ने मुझे अपनी बेटी की तरह से रखा, अपने
परिवार के सदस्या की तरह से, इस के बदले में तुम्हे वरदान देती हुं
कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियो की और धन की कमी नही रहेगी,
तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिस के तुम हकदार हो, और फ़िर मां अपने
स्वामी के दुवारा भेजे रथ में बैठ कर बेकुण्ठ चली गई
इस कहानी में मां लक्ष्मी का संदेशा है कि जो लोग दयालु और साफ़
दिल के होते है मै वही निवास करती हुं, हमें सभी मानवों की मदद
करनी चाहिये, और गरीब से गरीब को भी तुच्छ नही समझना चाहिये।
शिक्षा..... इस कहानी में लेखक यहि कहना चाहता है कि एक
छोटी सी भुल पर भगवान ने मां लक्ष्मी को सजा दे दी हम तो बहुत
ही तुच्छ है, फ़िर भी भगवान हमे अपनी कृपा मे रखता है, हमे भी हर
इन्सान के प्रति दयालुता दिखानी और बरतनी चाहिये, और यह दुख
सुख हमारे ही कर्मो का फ़ल है |
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मंत्र और चालीसा 


sabka malik aek


Tuesday, December 17, 2013

प्रज्ञावर्धन -स्तोत्र !


प्रज्ञावर्धन -स्तोत्र !
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इस स्तोत्र का पाठ प्रात: [ सूर्योदय के लगभग ] रविपुष्य या गुरु पुष्य नक्षत्र से प्रारम्भ करके आगामी पुष्य नक्षत्र तक [ पीपल वृक्ष की जड़ में ] करना चाहिये! पाठ करते समय कार्तिकेय जी का ध्यान करना चाहिये! २७ दिन में एक पश्चरण होगा! फिर हर रोज घर में इसका पाठ करना चाहिये! 
दायें हाथ में जल लेकर विनियोग के बाद जल त्याग करके, स्तोत्र पाठ को शुरू करें!
विनियोग--
ॐ अथास्य प्रज्ञावर्धन -- स्तोत्रस्य भगवान शिव ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, स्कन्द - कुमारो देवता, प्रज्ञा सिद्धयर्थे जपे विनिटिग:
[ यहाँ जल का त्याग कर दें! ] 
अथ स्तोत्रम 
=======
ॐ योगेश्वरो महासेन: कार्तिकेयोSग्निननन्दन!
स्कन्द: कुमार : सेनानी स्वामी शंकरसंभव !!१!!
गांगेयस्ता म्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वज:!
तारकारिरुमापुत्र: क्रौंचारिश्च षडानन:!!२!!
शब्दब्रह्मसमूहश्च सिद्ध: सारस्वतो गुह:!
सनत्कुमारो भगवांन भोग- मोक्षप्रद प्रभु:!!३!!
शरजन्मा गणाधीशं पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत !
सर्वांगं - प्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शक:!!४!!
अष्टाविंशति नामानि मदीयानीति य: पठेत !
प्रत्यूषे श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् !!५!!
महामन्त्रमयानीति नामानि कीर्तयत !
महाप्रज्ञावाप्नोति नात्र कार्य विचारणा!!६!!
पुष्यनक्षत्रमारम्भय कपून: पुष्ये समाप्य च!
अश्वत्त्थमूले प्रतिदिनं दशवारं तु सम्पठेत!!७!!

*****!! प्रज्ञावर्धन स्तोत्रों सम्पूर्णम !!*****
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विद्यार्थोयों की बुद्धि को सन्मार्ग पर लगाने एवं विद्या में सफलता के लिये!
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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)


मंगल मन्त्र!


मंगल मन्त्र!
=======
१-
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:!
२-
वैदिक मंगल मन्त्र--
विनियोग--
अग्निमूर्द्धेति मंत्रस्य विरूपाक्ष ऋषि: गायत्री छंद: भौमो देवता मंगलप्रीतय जाप्र विनियोग:!
मन्त्र--
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: ॐ भूर्भव: स्व: ॐ अग्निमूर्द्धा दिव: ककुत्पति पृथिव्या --- अयम आपा -- उ रेता उ सिजिन्वति !
ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: क्रौं क्रीं क्रां भौमाय नम:!!
३--
पौराणिक मन्त्र---
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम् !
कुमारं शक्ति हस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम !!
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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

Monday, December 16, 2013

श्री लक्ष्मीनृसिंह मन्त्र!


श्री लक्ष्मीनृसिंह मन्त्र!
ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं श्रीलक्ष्मी नृसिंहाय नम:!


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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

त्रिपुरसुंदरी मन्त्र !


त्रिपुरसुंदरी मन्त्र !

ॐ ऐं क्लीं श्रीं त्रिपुर सुन्दर्यै नम:!

राज कार्य सिद्धि !!

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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

महावीर मन्त्र!

http://saibabateachings.blogspot.in/p/meaning-of-gayatri-mantra.html

महावीर मन्त्र!
ॐ हौं हस्फ्रें ख्फ्रें ह्स्त्रों हस्ख्फ्रें हसौ हनुमते नम:!!

कुबेर मन्त्र!




कुबेर मन्त्र!

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय दापय स्वाहा!!
शिव जी के मंदिर में इस मन्त्र का जाप करना चाहिये!
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गणेश्वरकल्प मन्त्र!


गणेश्वरकल्प मन्त्र!

ॐ गाँ गीं गूँ गैं गौं ग:!!


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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

चंद्रमा के मन्त्र!


चंद्रमा के मन्त्र!
---------------
१-
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमने नम:!
२-
वैदिक मन्त्र--
विनियोग--
इममित्यस्य देववात ऋषि: अत्यष्टिश्छन्द: चन्द्रो देवता चन्द्रप्रीतये जपे विनियोग!
मन्त्र--
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: भूर्भुव: स्व: ॐ इमन्देवा असपत्न सुबध्वम्महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठयाय महते जानराज्यायन्द्रस्येन्द्रि यायाय! इम्ममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश --एष वोमी राजा सोमो --- स्माकं ब्राह्मणानां राजा! ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: श्रौं श्रीं श्रां ॐ चन्द्रमने नम!
३-
पौराणिक मन्त्र--
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसन्निभम् !
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम !!
=========================
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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

shirdi sai baba


सरस्वती मन्त्र



सरस्वती मन्त्र
-------------------
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:!
ॐ ह्रीं हसौ सरस्वत्यै नम:!
ॐ ह्रीं वेदमातृभ्य: स्वाहा! 
ॐ ऐं नम:!
ॐ ऐं हं ऐं हं वद वद स्वाहा!!
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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

Sunday, December 15, 2013

सूर्य के मन्त्र!


सूर्य के मन्त्र!
--------------
- ॐ घृणि: सूर्य आदित्योम! 
विनियोग--
अस्य श्री सौरमन्त्रस्य देवभागऋषि:, गायत्री छंद: सूर्यो देवता तत्प्रसाद सिद्धयर्थे जपे विनियोग:!
ऋष्यादिन्यास--
देवभाग ऋष्ये नम: -- शिरसि ! गायत्री छंदसे नमो मुखे! सूर्यदेवतायै नमो हृदये! विनियोगाय नम:-- सर्वांगे! 
ॐ मन्त्र द्वारा कर एवं हृदयादिन्यास करें!
ध्यान--
घृतपद्मद्वयं भानुं तेजोमण्डलमध्यगम ! 
सर्वा दिव्या धिशमनं छायाश्लिष्टतनु भजे!!
२-
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:!
३-
वैदिक सूर्य मन्त्र---
विनियोग--
आकृष्णेत्यस्य हिरण्यस्तूपांगिरस ऋषि: त्रिष्टुपछंद: सूर्यो देवता सूर्यप्रतीये जपे विनियोग:!
मन्त्र--
ॐ ह्राँ ह्रीं हौं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ इमन्देवा असपत्न सुबद्वम्महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठाय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रि यायाय! इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विशSएष वामी राजा सोमोSमाकं ब्राह्मणानां राजा! ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: श्रीं श्रीं ॐ चन्द्रमसे नम:!!
पौराणिक मन्त्र--
जपाकुसुमसंगाशं काश्यपेयं महाद्युतिम !
तमोSरिं सर्व पापधनं प्रणतोSस्मि दिवाकरम!
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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

Saturday, December 14, 2013

लक्ष्मी प्राप्ति के मन्त्र !


लक्ष्मी प्राप्ति के मन्त्र !
-----------------------
१-
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च घीमहि! तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात!
२-
ज्येष्ठा लक्ष्मी--
ॐ रक्तज्येष्ठायै विधाहे नीलज्येष्ठायै धीमहि! तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात !
अथवा -- ॐ ऐंश्रीं ज्येष्ठलक्ष्मी- स्वयम्भुवे ह्रीं ज्येष्ठायै नम:! 
३- 
महालक्ष्मी मन्त्र --
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:!
४-
लक्ष्मी मन्त्र--
ॐ ह्रीं श्रेण महालक्ष्मि सर्वकामप्रदे सर्वसौभाग्यदायिनी अभिमतंप्रयक्छ सर्वसर्वगते सुरुपे सर्वदुर्जयविमोचिनी ह्रीं स: स्वाहा !!
५--
धनदा लक्ष्मी --
ॐ नमो धनदायै स्वाहा! 
६-
लक्ष्मी यक्षिणी --
ॐ ऐं लक्ष्मी श्रीं कमलधारिणी कलहंसी स्वाहा!
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मंत्र संग्रह (Mantra in Hindi)

मृत सञ्जीवनी विद्या !


मृत सञ्जीवनी विद्या ! 
[ शुक्राचार्य द्वारा उपासित ] 
ॐ हौं जूँस: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम ॐ भर्गो देवस्य धीमहि ॐ उर्वारुकमिव बन्धनाद ॐ धियो यो न प्रचोदयात ॐ मृत्योर्मुक्षीय माSमृतात ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूँ ह्रौं ॐ!!

shirdi sai baba


Friday, December 13, 2013

ब्रह्म और माया

******ब्रह्म और माया******
ब्रह्म और माया--इनमें मूल्भेद इस प्रकार है---ब्रह्म निर्गुण-निराकार, माया सगुन-साकार, ब्रह्म अनादि एवं निर्विकार है तथा माया विकारयुक्त है! ब्रह्म नामातीत होते हुए भी उसके अनेक नाम-रूप हैं, जैसे निजांड, अच्छुत, अनंत, नादरूप, ज्योतीरूप, चैतन्यरूप, सत्तारूप और साक्षीरूप आदि भी है!
माया को दृश्य, सोपाधि, मिथ्या, परिमेय, विनाशी तथा सगुन बताया है और ब्रह्म को अदृश्य, निरुपाधि, सत्य, अपरिमेय, अविनाशी तथा निर्गुण! माया पांचभौतिक है और ब्रह्म शाश्वत, माया असार है और ब्रह्म सार, माया क्षणिक है और ब्रह्म नैरन्तर्य! माया मूलत: ब्रह्म में पूर्णतया अनर:स्थ निर्गुण थी! ब्रह्म से वह समद्भूत होकर सगुन बनी! प्रथम वह आकाश बनी! आकाश यानी अवकाश, उसमें स्पंदन हुआ, उससे अग्नि उत्पन्न हुआ, अग्नि से जल तथा जल से सृष्टि का उद्भव हुआ! प्रत्येक सृष्ट पदार्थ में परमात्मा स्थित रहता है, इस लिये भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है!-----
"ईश्वरोsहं सर्व भूतेषु हृद्द्देशेsर्जुन तिष्टति"
सृष्टि --ब्रह्माण्ड उत्पन्न होने से पूर्व मूल में माया त्रिगुणात्मिक बनी थी! तमोगुण से पंचभूतों की निर्मित हुई! जो जड़ और कठिन है वह पृथ्वी का रूप है तथा जो मृदु और प्रवाही है वह अपतत्त्व का रूप है तथा जिसमें चैतन्य और चांचल्य है वह वायु-तत्त्व का रूप है! शून्यत्व आकाश तत्त्व का रूप है! ब्रह्माण्ड के ऊपर मूल में माया सूक्ष्म-रूप है! सृष्टि में प्रथम जलचर निर्मित हुए, तत्पश्चात खेचर [पक्षी] और तत्पश्चात भूचर निर्मित हुए!
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जिस प्रकार जीवात्मा परमात्मा का अंश है, उसी प्रकार पिण्ड ब्रह्माण्ड का अतीव सूक्ष्म अंश है! ब्रह्माण्ड में जो कुछ विद्यामान है, वह अत्यंत सूक्ष्म रूप में भी रहता है!

प्रात:काल लक्ष्मी ध्यान!


प्रात:काल लक्ष्मी ध्यान!
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ॐकार परमानंद क्रीयते व् सुख: सुरा!
सर्व मंगल मांगल्ये शक्ति सर्वार्थ साधकम!!
प्रथमे अम्बिके गौरी, द्वितीये वाश्न्वी तथा!
त्रितये कमला प्रोक्ता चतुर्थे सुंदरी जाया!!
पंचमे विष्णुपत्नी च षष्ठं कात्यायनीति च!
सप्तमं चैव वाराही अष्टमं हरि वल्लभा!!
नवमंखडग्त्रिश्दाला दशमं देवी देवका!
एकादशं सिद्ध लक्ष्मी द्वादश्यां हंस वाहिनी!!
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ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
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