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श्री साईं-कथा आराधना(भाग - 7)
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
बाबा की चरणकमलों में सारे धाम हैं बसे
उनमें ही राम-श्याम हैं, रहमान हैं बसे,
उनमें ही गीता, बाइबिल, उनमें कुरान है
उनमें ही सारे वेद, सारे पुराण हैं
इंसानियत के धर्म का प्रतीक थे साईं
धूनी जला के लोगों की पीड़ा थी मिटाई
काका ने जब गीता का था श्लोक सुनाया
तब साईं ने ही उसका सही अर्थ बताया
बाबा के गीता-ज्ञान से हैरान थे सभी
बाबा की लीलाओं से अनजान थे सभी
साईं हर भक्त की पीड़ा खुद पे लेते
और बदले में उसको सुख-शांति देते
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
एक बार भीमा जी को क्षयरोग हो गया,
तब साईं भक्त नाना ने उसको बताया
अब एक मार्ग शेष है बस साईं चरण का
उनकी कृपा से ही जाएगा रोग तन का
भीमा जी पहुंचे शिर्डी और बाबा से कहा
मुझपे दया करो मैं आया हूं यहां
इस विनती से बाबा का दिल पिघल गया,
की ऐसी दया उस पर रोग नष्ट हो गया
साईं ने सपने में हृदय पर पाषाण घुमाया
और पल भर में क्षयरोग को मार भगाया
आनंदित हो भीमा जी निज गाँव आ गया
फिर उसने नया सत्य साईं व्रत चलाया
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए.......