Tuesday, August 21, 2012

Sai Sandesh



ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं 
एक बार सदगुरु की शरण में जाने के बाद इस सांसारिक जीवन में भय का प्रशन कहाँ रह जाता है? तब दुनियादारी की कैसी चिन्ता, जब उन सब का निवारण करने के लिए वे हैं I 
What fear of the world can there be after thus surrendering to the Sadguru? And why unnecessarily worry about the worldly matters, leaving not a trace of good thoughts. 
(Clause 30 Adhaya 37, Sai Sachitra Dr R,N,Kakriya)

श्री साई सच्चरित्र



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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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