गीता रहस्य
ब्रहृविघा (अध्यात्म) का जो भक्त अध्ययन करते, उन्हें बाबा सदैव प्रोत्साहित करते थे। इसका एक उदाहरण है कि एक समय बापूसाहेब जोग का एक पार्सल आया, जिसमें श्री लोकमान्य तिलक कृत गीता-भाष्य की एक प्रति थी, जिसे काँख में दबाये हुये वे मस्जिद में आये। जब वे चरण-वन्दना के लिये झुके तो वह पार्सल बाबा के श्री-चरणों पर गिर पड़ा। तब बाबा उनसे पूछने लगे कि इसमें क्या है। श्री जोग ने तत्काल ही पार्सल से वह पुस्तक निकालकर बाबा के कर—कमलों में रख दी। बाबा ने थोड़ी देर उसके कुछ पृष्ठ देखकर जेब से एक रुपया निकाला और उसे पुस्तक पर रखकर जोग को लौटा दिया और कहने लगे कि, "इसका ध्यानपूर्वक अध्ययन करते रहो, इससे तुम्हारा कल्याण होगा।"
(श्री साई सच्चरित्र, अध्याय 27)