बाबा का चरित्रः ज्योतिस्तंभ स्वरुप
समुद्र में अनेक स्थानों पर ज्योतिस्तंभ इसलिये बनाये जाते है, जिससे नाविक चटटानों और दुर्घटनाओं से बच जायें और जहाज का कोई हानि न पहुँचे। इस भवसागर में श्री साई बाबा का चरित्र ठीक उपयुक्त भाँति ही उपयोगी है। वह अमृत से भी अति मधुर और सांसारिक पथ को सुगम बनाने वाला है । जब वह कानों के द्वारा हृदय में प्रवेश करता है, तब दैहिक बुदि नष्ट हो जाती है और हृदय में एकत्रित करने से, समस्त कुशंकाएँ लोप हो जाती है। अहंकार का विनाश हो जाता है तथा बौद्धिक आवरण लुप्त होकर ज्ञान प्रगट हो जाता है। बाबा की विशुद्ध कीर्ति का वर्णन निष्ठापूर्वक श्रवण करने से भक्तों के पाप नष्ट होंगे। अतः यह मोक्ष प्राप्ति का भी सरल साधन है।
(श्री साई सच्चरित्र, अध्याय-3)