ॐ साईं राम
श्री साई सच्चरित्र संदेश
"अविद्या के समाप्त होने पर इस द्वैत भाव का लेशमात्र भी शेष नहीं रह जाता है, ऐसा व्यक्ति प्रभु और उसके रचे प्राणियों के बीच एकत्व के अहसास के कारण जन्म-मरण के चक्र से बच जाता है" I
Once this ignorance is removed, even a trace of plurality will not remain, and will release the person from the cycle of birth and death. This caused by the knowledge of oneness.
(Clause 33 Adhaya 37, Sai Sachitra Dr R,N,Kakriya)