Wednesday, August 3, 2011

Sai Teachings

अशुद्ध नकारात्मक भावनाएँ (जैसे क्रोध, रंज - आदि), विक्षेप (चित्त को इधर- उधर भटकना) और आवरण (सत्य को छिपाना) अंत:करण के तीन दोष हैं I निष्काम भावना से कर्म करने पर अशुद्ध व नकारात्मक भावनाओ को निर्मूलन होता है; उपासना और भक्ति से चित्त की भ्रमकारी भ्रांतियों का शुद्धिकरण होता है I          
Impurity, confusion and concealment are the three inherent flaws of the human mind. By means of selfless service, impurity can be cleansed and confusion can be removed through worship.   
(Clause 167 Adhaya 16 Sai Sachitra, Dr R N Kakria)
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ॐ साईं राम

श्री साई सच्चरित्र



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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

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