Friday, August 26, 2011

साईं संदेश

"लोभी (लालची) को न तो शांति है और न संतोष ही; और न ही वह द्रिड  निशचयी होता है I एक बार चित्त में लोभ के बस जाने पर वह आध्यामिक उन्नति के सभी साधनों को बेकार कर देता है" I  
"Where there is greed, there is no peace, no contentment, nor restfulness. All means (of achieving Brahman) turns to dust when avarice takes hold of the mind."    
ॐ साईं राम 

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ