"लोभी (लालची) को न तो शांति है और न संतोष ही; और न ही वह द्रिड निशचयी होता है I एक बार चित्त में लोभ के बस जाने पर वह आध्यामिक उन्नति के सभी साधनों को बेकार कर देता है" I
"Where there is greed, there is no peace, no contentment, nor restfulness. All means (of achieving Brahman) turns to dust when avarice takes hold of the mind."
ॐ साईं राम
ॐ साईं राम