Sunday, August 21, 2011

ॐ साईं राम

"जीव की अज्ञानव्रत्ति ही उसे संसार की ओर खींचती है I आत्मज्ञान की प्राप्ति के उपरांत संसार से निव्रत्ती (मुक्ति) हो जाती है - वह संसार में रहकर भी, उसमे नहीं रहता" I    
The ignorance of the person is the cause of the very materialistic attitude. When there is the knowledge of the self in its true sense, it will lead to the state of detachment towards the material world on its own.   
ॐ साईं राम 

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ