Tuesday, August 9, 2011

साईं संदेश

"जहाँ स्थूल शरीर के अहंकार की व्रत्ति नष्ट हो जाती है, वहां तत्काल ही निव्रत्ती निवास करने लगती है I निशिचत रूप से यह जान लो कि वह जीव की परमात्मा के साथ एक होने यानि परमात्म स्थिति होती है" I      
In one, whose pride of material achievements disappear, detachment takes its place immediately - and that in itself is the ultimate state of being. Remember this perfectly well.   
(Clause 52 Adhaya 17, Sai Sachitra Dr R,N,Kakriya)
ॐ साईं राम 

श्री साई सच्चरित्र



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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ