जब तक भक्त पूर्ण विनय संपन्न हो कर, भक्ति व श्रद्धा भाव से गुरु की शरण में पूर्ण समर्पण कर साष्टांग प्रणाम नहीं करता, तब तक गुरु उसे ज्ञान का भंडार नहीं देते I
With mind full of devotion and faith, a disciple should completely and humbly surrender. Till such time, the Guru will not give the treasure of knowledge to him.
(Clause 136 Adhaya 17, Sai Sachitra Dr R,N,Kakriya)
ॐ साईं राम