Thursday, August 11, 2011

ॐ साईं राम

जब तक भक्त पूर्ण विनय संपन्न हो कर, भक्ति व श्रद्धा भाव से गुरु की शरण में पूर्ण समर्पण कर साष्टांग प्रणाम नहीं करता, तब तक गुरु उसे ज्ञान का भंडार नहीं देते I    
With mind full of devotion and faith, a disciple should completely and humbly surrender. Till such time, the Guru will not give the treasure of knowledge to him.   
(Clause 136 Adhaya 17, Sai Sachitra Dr R,N,Kakriya)
ॐ साईं राम 

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ