"जो सदैव दुष्कर्मों को करने में व्यस्त रहता है,जिनको श्रुति और स्मृति ने करने के लिए मनाही की है और जिसे अच्छे और बुरे का ज्ञान नहीं है, वह अपना क्या हित कर सकता है, भले ही वह ज्ञानी क्यों न हो" ?
What is the use of such a person who is continuously wallowing in sin and in acts forbidden by the scriptures, even though he is a scholar, because he does not know what is right and what is wrong?
ॐ साईं राम