सन्त स्वयं ही देह धारण करते है तथा कोई निश्चित ध्येय लेकर इस संसार में प्रगट होते है ओर जब ध्येय पूर्ण हो जाता है तो वे जिस सरलता और आकस्मिकता के साथ प्रगट होते है, उसी प्रकार लुप्त भी हो जाया करते है ।
(श्री साई सच्चरित्र)
आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !
आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !