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श्री साईं-कथा आराधना (भाग - 20 )
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
बाबा ने कहा था जो मुझसे प्रेम है करता
वह सदा ही अपनी झोलियां है भरता
उसके लिए मेरे बिना ये संसार है सूना
वह सतत् मेरा ही ध्यान है करता
जो मुझे अर्पण किए बिना भोजन नहीं करता
वह सदा ही मेरा कृपा का पात्र है बनता
जो व्यक्ति दूसरों को पीड़ा देता है
वह उसे नहीं, मुझको भी दुःख देता है
भक्तों की भलाई हेतु साईं ने अवतार था लिया
देह को नश्वर मान उनको था मुक्त किया
जगतारण बन कर ही आए थे साईं
दुष्टजनों के संग भी उन्होंने प्रीति दिखाई
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
श्री साईं सारी सृष्टि के कण-कण में हैं बसे
हर प्राणी की हर सांस में भी हैं वो बसे
फूलों की खुशबू में भी साईं नाम है बस्ता
पक्षियों के मधुर गान में भी साईं नाम गूंजता
श्री राम साईं हैं और रहीम हैं साईं
गीता, बाइबिल और कुरान हैं साईं
मंदिर के घंटे की गूंज में हैं साईं
मस्ज़िद की हर अज़ान में भी हैं साईं
साईं बाबा आज भी भक्तों के हैं आश्रयदाता
वही सबके प्रभु हैं इस जग के विधाता
ऐसे सर्वेश्वर को सौ बार नमन है मेरा
दीनों के नाथ को प्रणाम है मेरा
श्री साईं गाथा सुनिए।
जय साईंनाथ कहिए॥