Wednesday, October 3, 2012

shirdi sai baba teachings





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श्री साईं-कथा आराधना(भाग -15)
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

रंग साईं का मन पे चढ़ गया जो एक बार,
साईं भक्ति में झूमेगा वो तो हज़ार बार
बाबा ने कहा जब भी मुझे तुम याद करोगे
सात समंदर पार भी मुझको अपने पास पाओगे
एक दिन बाबा से मिलने गोवा से सज्जन थे आए
दोनों ही बाबा के लिये कुछ दक्षिणा भी लाए
बाबा ने एक से ले, दुसरे को अस्वीकार कर दिया
और उनका सारा हाल सबको सच बता दिया
साईं की महिमा जान दोनों के आंसू ही बह गए
श्री साईं सर्वव्यापी अनंत परब्रह्मस्वरूप हैं
शिर्डी के बाहर भी उनका व्यापा स्वरुप है

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

साईं को एक ईंट से बेहद लगाव था
आत्मचिंतन करने में उसका बड़ा हाथ था
दिन में साईं उस पर हाथ टेक कर रखते
और रात में सिर के नीचे रख शयन थे करते
एक दिन किसी बालक से वो ईंट टूट गई
बाबा ने कहा, मेरी तो किस्मत ही फूट गई
बाबा को वह अपने प्राणों से अति प्यारी
हर एक चीज़ के प्रति उनकी ममता थी अति न्यारी
बाबा के निर्वाण पूर्व का यह एक अपशकुन था
कहने को ईंट का टूटना एक सूचना स्वरूप था
मन और इंद्रियों को वश में रखने वाला तत्त्व साईं है
जिसका न रूप है, न अंत है, वही तो साईं है

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए..........

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