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श्री साईं-कथा आराधना(भाग-18 )
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
शिर्डी में गुरुस्थान की महिमा है अपरंपार
जो भी लगाता चक्कर इसके ग्यारह ही बार
हर पीड़ा से भक्त वो मुक्ति पा जाता
जो बैठ यहाँ पे साईं नाम है गाता
साईं का नीम आज भी भक्तों को छाँव है देता
पत्तों के उससे हर कोई मिठास ही लेता
गुरुस्थान में बाबा के गुरु को शीश नवाकर
हर कोई उनसे भी है आशीष ही पाता
बाबा की चरण-पादुका पे फूल-हार चढ़ाकर
लोबान और अगरबत्ती यहाँ पे जलाकर
हर भक्त सुख-शांति सब प्यार है पाता
और साईं की दुआओं को संग अपने पाता
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
महिमा द्वारिकामाई की भी है अति न्यारी
भक्तों की मां जैसी यह सबकी दुलारी
जो भी इसकी गोद में एक बार बैठता
अपने सारे दुःख मां की झोली में डालता
रात-दिन यहां जलती धूनी माई
देख जिसको याद आ जाते हैं जय श्री साईं
धूनी की भस्म ऊदी को हर भक्त माथे पे लगाता
और साथ ले के उसको अपने घर भी आता
ऊदी में है आज भी वही संजीवनी शक्ति
साईं की दुआ से ये बढ़ाती साईं-भक्ति
जिसने भी यहां भूखों को भोजन करा दिया
वो साईं-भक्त साईं-कृपा को पल में ही पा गया
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए........