श्री साई महाराज की जय हो, जो भक्तों के जीवनाधार एवं सदगुरु है । हे साई, कृपादृष्टि से देखकर हमें आशीष दो । जैसे मलयगिरि में पाये जाने वाला चन्दनवृक्ष समस्त तापों का हरण कर लेता है अथवा जिस प्रकार बादल जलवृष्टि कर लोगों को शीतलता और आनन्द पहुँचाते है या जैसे वसन्त में खिले फूल ईश्वरपूजन के काम आते है, इसी प्रकार श्री साईबाबा की कथाएँ पाठकों तथा श्रोताओं को धैर्य एवं सान्त्वना देती है । जो कथा कहते या श्रवण करते है, वे दोनों ही धन्य है, क्योंकि उनके कहने से मुख तथा श्रवण से कान पवित्र हो जाते है ।
(श्री साई सच्चरित्र)