मंगल मन्त्र!
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१-
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:!
२-
वैदिक मंगल मन्त्र--
विनियोग--
अग्निमूर्द्धेति मंत्रस्य विरूपाक्ष ऋषि: गायत्री छंद: भौमो देवता मंगलप्रीतय जाप्र विनियोग:!
मन्त्र--
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: ॐ भूर्भव: स्व: ॐ अग्निमूर्द्धा दिव: ककुत्पति पृथिव्या --- अयम आपा -- उ रेता उ सिजिन्वति !
ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: क्रौं क्रीं क्रां भौमाय नम:!!
३--
पौराणिक मन्त्र---
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम् !
कुमारं शक्ति हस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम !!
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