Friday, December 13, 2013

पूजा के पांच प्रकार


*******पूजा के पांच प्रकार *******

शास्त्रों में पूजा के पांच प्रकार बताये गये हैं!----
अभिगमन, उपादान, योग, स्वाध्याय और इज्या!---
--देवता के स्थान को साफ़ करना, लीपना, निर्माल्य हटाना! ये सब कर्म "अभिगमन" के अंतर्गत हैं!
--गंध, पुष्प आदि पूजा-सामग्री का संग्रह "उपादान" है!
--इष्टदेव की आत्म रूप से भावना करना "योग" है!
४--मंत्रार्थ का अनुसंधान करते हुए जप करना, सूक्त, स्तोत्र आदि का पाठ करना, गुण, नाम, लीला आदि का कीर्तन करना, वेदान्त शास्त्र आदि का अभ्यास करना--ये सब "स्वाध्याय" हैं!
--उपचारों द्वारा अपने आराध्य देव की पूजा "इज्या" है!
ये पांच प्रकार की पूजाएँ क्रमश: सार्ष्टि, सामीप्य,सालेक्य,सायुज्य और सारूप-मुक्ति देनी वाली हैं! भागावान्सदाशिव की पूजा की उपासना में एक रहस्य की बात है यह कि जहां एक ओर रत्नों से परिनिर्मित लिंगों की पूजा में अपार समारोह के साथ राजोपचार आदि विधियों से विशाल वैभव का प्रयोग होता है, वहाँ सरलता की दृष्टि से केवल जल, अक्षत, बिल्वपत्र ओर मिखावाद्य [मुख से बम-बम की ध्वनी] से भी परिपूर्णता मानी जाती है ओर सदाशिव की कृपा साज उपलब्ध हो जाती है, इसीलिये वे आशुतोष ओर उदार शिरोमणि कहे हैं!

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