जप कर्त्ता के लिये!
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१-चित्त में प्रसन्नता का अनुभव करें!
२-स्वयं को जिस कार्य में लगाया है, उसकी पूर्ति के लियेअपने-आपको समर्थ मानें!
३-मौन रहें!
४-मन्त्र के अर्थ का चिंतन करते रहें!
५-किसी प्रकार की बेचैनी का अनुभव न करें और एकाग्र भाव से जप करें तथा
६-अपने कार्य के प्रति सदा उत्साह बनाये रहें!
मन्त्र का जप करते समय मन में ऐसी भावना करनी चाहिये कि
१- परमात्मा की शक्ति अद्भुत है!
२- परमात्मा सबसे ऊपर है, उससे बड़ा कोई नहीं!
३-इष्टदेव के स्वरुप का ध्यान!
४-परमात्मा की कृपा प्राप्त करने की आतुरता!
५- परमात्मा सबका कल्याण करनेवाला है और
६- इस जप कर्म से मुझे अवश्य ही ईश्वरीय शक्ति प्राप्त होगी---- ऐसा दृढ निश्चय !!
अहंकार, धमण्ड या गर्व का भाव मन में न लावें तथा इष्टदेवक को अपना सर्वस्व समर्पण करने की प्रवृत्ति रखें तथा इसके साथ ही शुभ संकल्प का होना जरूरी है!!
Pawan Talhan,