Wednesday, July 17, 2013

ॐ साईं राम

हमारा मन स्वभावत: ही चंचल है; पर हमें उसे लम्पट नहीं होने देना चाहिए I इन्द्रियां भले ही चंचल हो जाएँ; लेकिन शरीर को अशान्त नहीं होने देना चाहिए I 
The mind is wavering by nature, but do not let it be unrestrained. Even if the senses are agitated do not let the body be impatient. 

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ