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साईं भिक्षा मांगने आया
फ़क़ीर का वेश बनाया
देखो साईं भिक्षा मांगने आया
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साईं तीन लोक का स्वामी
गलियों में आवाज़ लगाता
"भिक्षाम देहि, माँ भिक्षाम देहि"
अलख जगाता
भिक्षा के बहाने घर घर दुआ बाँटने आया
देखो साईं भिक्षा मांगने आया
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कांधे झोली डाले उसमे रोटी चावल
टमरेल में उड़ेले सब्जी और दालें
"रोटी भाजी के बहाने" दुःख दर्द लेने आया
देखो साईं भिक्षा मांगने आया
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साईं ने द्वारिकामाई में धुनी जलाई
जो भी आया उसे उदी थमाई
"उदी के बहाने" सबकी पीड़ा हरने आया
देखो साईं भिक्षा मांगने आया
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जो साईं जी के दर्शन को आते
साईं जी उनसे दक्षिणा मांगते
"दक्षिणा के बहाने" त्याग सिखाने आया
देखो साईं भिक्षा मांगने आया
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साईं भूखे को रोटी प्यासे को पानी देने आया
श्रद्धा-सबूरी के बहाने अपना बनाने आया
"रक्षा का वचन" देकर आत्म विश्वाश बड़ाने आया
देखो साईं भिक्षा मांगने आया
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मजहब, भाषा, जाती-पाती, का भेद मिटाने आया
भटके हुए लोंगों को मुक्ति द्वार दिखलाने आया
वो "सबका मालीक एक" सबक सिखाने आया
देखो साईं भिक्षा मांगने आया
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