ॐ साईं राम
प्राक्रतिक कर्मो के अभिमान के कारण द्रढ बंधन की उत्पत्ति होती है I इसलिए ज्ञानी अपने चित्त को सदैव सावधान रखते हैं और इसके पाश में नहीं फँसते I
The wise are ever wary of the bondage of the pride of the worldly achievements and do not let it affect them.