Friday, March 29, 2013

om sai ram

ॐ साईं राम 
प्राक्रतिक कर्मो के अभिमान के कारण द्रढ बंधन की उत्पत्ति होती है I इसलिए ज्ञानी अपने चित्त को सदैव सावधान रखते हैं और इसके पाश में नहीं फँसते I 
The wise are ever wary of the bondage of the pride of the worldly achievements and do not let it affect them.

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ