Thursday, March 28, 2013

om sai ram

ॐ साईं राम 
जो आत्मा में द्रढता से स्थिर है और जरा भी विचलित नहीं होता, ऐसे व्यक्ति को समाधि लीन होने या उससे बहार निकलने की कोई आवश्यकता नहीं होती I 
One who meditates upon his Real Self, unwaveringly and does not break his concentration for him, there is no necessity of both - getting into samadhi or coming out of it.

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ