ॐ साईं राम
जो आत्मा में द्रढता से स्थिर है और जरा भी विचलित नहीं होता, ऐसे व्यक्ति को समाधि लीन होने या उससे बहार निकलने की कोई आवश्यकता नहीं होती I
One who meditates upon his Real Self, unwaveringly and does not break his concentration for him, there is no necessity of both - getting into samadhi or coming out of it.