साईं परोपकार की प्रीतमा थे I परोपकाराथ्र उन्होंने अपने शरीर को कष्ट दिया I वे सर्वदा निवैरधर्म (द्वेष की भावना से रहित) की स्थिति में रहे I उन्होंने अच्छे कार्यो में स्वयं को समर्पित कर दिया I
Sai was the very embodiment of benevolence. He wore out of his body for that purpose. His nature was such that he had no enmity towards anyone and he always engaged in doing good deeds.