Thursday, December 27, 2012

Guru

अपने गुरु की महानता का गुणगान या श्रवण करने से चित्त शुद्ध होता है और अगर उनके नाम का जाप करके द्रढता से उनका चिंतन-मनन किया जाए तो परमानद देने वाला उनका स्वरूप तुम्हारे समक्ष प्रकट हो जाएगा I 
While singing the greatness of one own's Guru and listening about him, the mind will be purified. The repetition of his name with steady concentration, will result in the manifestation of the embodiment of bliss.

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ