हेमाडपंत 'श्री साई सच्चरित्र' के अध्ययन से प्राप्त होने वाले फल के सम्बन्ध में कुछ शब्द लिखते हैं । इस ग्रन्थ के पठन-पठन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी । पवित्र गोदावरी नदी में स्नान कर, शिरडी के समाधि मन्दिर में श्री साईबाबा की समाधि के दर्शन कर लेने के पश्चात इस ग्रन्थ का पठन-पाठन या श्रवण प्रारम्भ करोगे तो तुम्हारी त्रिविध आपत्तियाँ भी दूर हो जायेंगी । समय-समय पर श्री साईबाबा की कथा-वार्ता करते रहने से तुम्हें आध्यात्मिक जगत् के प्रति अभिरुचि हो जायेगी और यदि तुम इस प्रकार नियम तथा प्रेमपूर्वक अभ्यास करते रहे तो तुम्हारे समस्त पाप अवश्य नष्ट हो जायेंगें । यदि सचमुच ही तुम आवागमन से मुक्ति चाहते हो तो तुम्हें साई कथाओं का नित्य पठन-पाठन, स्मरण और उनके चरणों में प्रगाढ़ प्रीति रखनी चाहिये । साई कथारुपी समुद्र का मंथन कर उसमें से प्राप्त रत्नों का दूसरों को वितरण करो, जिससे तुम्हें नित्य नूतन आनन्द का अनुभव होगा और श्रोतागण अधःपतन से बच जायेंगे । यदि भक्तगण अनन्य भाव से उनकी शरण आयें तो उनका 'मैं' नष्ट होकर बाबा से अभिन्नता प्राप्त हो जायेगी, जैसे कि नदी समुद्र में मिल जाती है । यदि तुम तीन अवस्थाओं (अर्थात्- जागृति, स्वप्न और निद्रा) में से किसी एक में भी साई-चिन्तन में लीन हो जाओ तो तुम्हारा सांसारिक चक्र से छुटकारा हो जायेगा ।
(श्री साई सच्चरित्र)