Tuesday, June 19, 2012

Sandesh



ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
***************************
श्रद्धा भक्ति नाव बने, बाबा उसे चलाये |
बाबा जी की हो कृपा, भवसागर तर जाय ||
***************************
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
***************************
मंगल मन्त्र
ॐ हुं श्रीं मंगलाय नमः ||
***************************
श्री साईं वचन - प्राणी सदा से मृत्यु के अधीन रहा है| मृत्यु की कल्पना करके ही वह भयभीत हो उठता है| कोई मरता नहीं है| यदि तुम अपने अंदर की आंखे खोलकर देखोगे, तब तुम्हें अनुभव होगा कि तुम ईश्वर हो और उससे भिन्न नहीं हो, वास्तव में किसी भी प्राणी की मृत्यु नहीं होती| वह अपने कर्मों के अनुसार, शरीर का चोला बदल लेता है| जिस तरह मनुष्य पुराने वस्त्र त्याग कर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, ठीक उसी के समान जीवात्मा भी अपने पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नए शरीर को धारण कर लेती है|
****************************

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !

Sai Aartian साईं आरतीयाँ