Sunday, April 8, 2012

ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं



ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं
"बाबा जो भी तुम्हारी स्तुति गाये |
बिन मांगे सब कुछ पा जाये" ||
श्री साईं कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे 

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{जन्नत श्री गुरु के चरणों में है तो इसका कब और कैसे अनुभव होता है?}

श्री गुरु के जीवनकाल में उनके चरणों की पूजा करना, पाद-सेवन करना नवधा भक्ति में से एक भक्ति भाव है! श्री गुरु के समाधि लेने के पश्चात् उनके चरणों का ध्यान किया जा सकता है ! केवल चरणों का ही नहीं, बाबा के अनुसार "चरणों से सर तक, और सर से चरणों तक का ध्यान करना चाहिए" गुरु-चरणों को मन में रखने का अभिप्राय हमारे दास-भाव, से है! यहाँ हम समभाव, बंधू-भाव नहीं रखते, बल्कि दास भाव रखते है, चरण पूजा का मतलब है - दास भाव, मतलब गुरु के वचनों का अनुसरण और बिना पूछे उनके आदेशो का पालन करना!


श्री साई सच्चरित्र



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