Tuesday, September 20, 2011

Shri Sai Sachictra Sandesh



ॐ साईं राम,
"जब भक्त अनन्य भाव से सदगुरु की शरण में आता है, तभी उसे अनुभव होने लगता है कि उसके सब धार्मिक कृत्य उत्तम प्रकार से चलते हैं और निर्विघ्न समाप्त होते हैं" I   
(Adhaya 40, Shri Sai Sachictra, Sansthan)

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ