Thursday, September 22, 2011

साईं मुख वचन

 ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
 
साईं मुख वचन
 "मैं किसी किसी वस्तु बिना मूल्य के नहीं लेता और न हर एक से मांगता हूँ, जिसकी और द्वारकामाई इंगित करती हैं,उससे मैं मांगता हूँ ओर जो गत जन्म का ऋणी है, उसी की ही दक्षिणा स्वीकार की जाती है"

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ