ॐ साईं राम,
"जाके सिर गुरु ज्ञान है,सोई तरत भव माहि |
गुरु बिन जानो जंतु को,कबहु मुक्ति सुख नाहि ||
"क्या पोथी और धार्मिक ग्रन्थों में ब्रह्म के विषय में दिए गये वर्णन में कोई कमी है ?
लेकिन जब तक सदगुरु कृपा नहीं करेंगें,
तब तक चाहे कोई कितना ही कठोर प्रयत्नं क्यों न कर ले,
सृष्टि के अंत तक भी वह कभी ब्रह्म को प्राप्त नहीं कर सकता" I