ज्योतिष पवित्र-विज्ञान है लेकिन पवित्र-ज्योतिष विज्ञान अज्ञान से आवृत है! ज्योतिष विज्ञान, अज्ञान से आवृत होने के कारण हम अंधविश्वास को बढावा दे रहे हैं और हम अपने मूल-कर्म व् धर्म से हट कर स्वयं ही पथभ्रष्ट हो रहे हैं! ज्योतिषी लोग अपने कार्य में बहुत ही निपुण, चतुर, कार्यकुशल, प्रवीन होते हैं! इन के पास शब्दों का भण्डार होता है!
हम जब इनके पास जाते हैं तो यह पूछते हैं बताओ क्या बात या क्या दुःख है! तब हम स्वयं ही अपनी स्मस्य ज्योतिषियों को बता देते हैं! ज्योतिषी लोग ग्रहों के फल कहना शुरू कर देते हैं! ज्योतिषी ने पहले ही आप से जान लिया था कि आप कि क्या स्मस्य है! ज्योतिषी अच्छी तरह से जानता है कि जीवन में सिर्फ १२ बातें ही हैं जिनके लिये मनुष्य दुखी या सुखी होता है!
१, तन-सुख, २ धन-सुख, ३ पराक्रम-सुख, ४ घर-सुख, ५ संतान-सुख, ६ रोग-दुःख-सुख, ७, स्त्री-सुख, ८ आयु-सुख,९ भाग्य-सुख, १० कर्म-सुख, ११ लाभ-सुख और १२ हानि!
इन्हीं १२ बातों से तल्लुक ही बातें होती हैं ,१३वीं बात नहीं होती!
हम अपनी मूर्खता के कारण १२ बातें ज्योतिषी को बता देते हैं और अपने ही बुने जाल में फंस जाते हैं, जिसका लाभ ज्योतिषी उठाते हैं और फिर ज्योतिषी के जाल में फंस जाते हैं!
अब स्वयं सोचें कि आप को मूर्ख कौन बना रहा है! आप स्वयं मूर्ख हैं या ज्योतिषी आप को मूर्ख बना रहा है?
ज्योतिषी को कभी भी अपना प्रश्न मत बतलाओ!
ज्योतिषी यदि ज्ञानी है तो वह स्वयं ही उस बात को जान लेगा कि आप क्या स्मस्य है!
प्रत्येक मनुष्य में 100 % बातें एक जैसी होती हैं, अंतर सिर्फ इतना होता है कि समय का अंतर होने पर कुछ कि बातें पहले घटित हो जाती हैं, कुछ कि बातें बाद में घटित होती हैं!
अब यह प्रश्न है कि जैसे स्त्री का प्रश्न है! प्रश्न किया, तलाक तो सभी का नहीं होता फिर एक जैसी कैसे हुई? बस ईतना याद रखना बात ७ भाव[सुख-दुःख] की ही है! बस पहचान करनी होती है कि बात किस भाव से तल्लुक रखती है!
आप से फिर द्वारा बता रहा हूँ कि ज्योतिषी को अपना प्रश्न मत बतलाना! अगर बतला दिया तो आप ज्योतिषी के जाल में फंस जाओगे और पथभ्रष्ट होकर अंधविश्वास में पड़ जाओगे!
अपने कर्म को पहचानो, फिर अपना कर्म करो!
जो भी कर्म करना हो उसे वैदिक रीती के अनुसार करो, लौकिक रीती के अनुसार मत करो! ऐसा ही भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता में कहा है! जो लोग भगवान के कथन की अवेहलना करते हैं वह सदैव दुःख भरा जीवन ही व्यतीत करते हैं!
आप मूर्ख मत बनो! जागो मानुष जागो, ईश्वर की पहचान करो, ईश्वर का नाम लो फिर देखो दुःख अपने आप भाग जायेंगे और प्रभु का आशीर्वाद भी पाओगे!
ज्योतिष हमें मूल-कर्म व् धर्म से दूर करता है!
भूलकर भी ऐसे उपाये मत करो जो न तो अपने हित में हों और न ही प्रभु प्राप्ति के हित में हों! आप का लौकिक किया उपाये आप के किये कुछ समय तक शुभ हो सकता है, लेकिन यह आप के किसी घर के स्दस्य को हानि दे सकता है! जिससे आप नये संकट में आ सकते हैं!
उदाहरण;- जैसे लाल-किताब के उपाये! टूना-टोटका करना! लाल-किताब के सभी उपाये टूना-टोटका हैं!
यदि अब भी न समझें तो ........फिर मूर्ख कौन होगा...........मूर्ख कौन बना .... मूर्ख किस ने बनाया..........आदि आदि .........
ग्रहों का सुख पाने के लिये ईश्वर की शरण में जाओ, वही सब दुखों कि दवा है! इस से अच्छी दवा संसार नें कोंई नहीं है! झूठ और पाखंड से बचो!
"ज्योतिषियों को अपना प्रश्न और अपनी बातें मत बतलाओ!"
Pawan Talhan