Tuesday, August 3, 2010

संदेश

अपने कष्ट के लिए दूसरों को जिम्मेवार ठहराना सबसे बड़ी भ्रान्ति है दूसरे के अवगुणों और अपने गुणों पर ध्यान मत दो जो अपने लिए कुछ नहीं चाहता, उस व्यक्ति को सब पसंद करते हैं
To regard another as the cause of one’s suffering is a delusion. Forget your virtues and other’s vices.One who desires nothing for himself is desired by all.

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ