जिनके दर्शन मात्र से नेत्र तर्प्त होते हों, जहा ज्ञान का अविरल प्रबाह होता हो, उनके चरणों मे मस्तक झुकाने से ह्रदय शान्त होता है I
"Whosoever one can feast one's eye on, on whose feet one can rest one's head, on whom one can meditate suitably, love develops there."
Shirdi Sai
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Saturday, August 28, 2010
श्री साई सच्चरित्र
श्री साई सच्चरित्र
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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