चाहे स्वीकार करे या अस्वीकार करें; जो होना है, सो तो होकर ही रहेगा I केवल संतो की शरण ही हमे सुखों और दुखों से परे ले जा सकती है I
"Whether you face happily or turn your back on your destiny, what will be, will be. But to liberate oneself from both kind of destined experiences, the company of the Saint is the only way."
Shirdi Sai
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Monday, August 16, 2010
श्री साई सच्चरित्र
श्री साई सच्चरित्र
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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