जो खुशी और सुख दूसरों के दुख और अप्रसन्नता से जन्मते है, उनका अंत दुख और कष्ट मे होना अवश्यम्भावी है यह् खुशी और लाभ अस्थाई है। यह प्रकृति का अपरिवर्तनीय नियम है।
Any happiness or gain which is born of the unhappiness of another is bound to end in suffering and sorrow and is detrimental to the enjoyer of such temporary pleasure or gain. This is the immutable law of Providence.
Shirdi Sai
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Friday, August 20, 2010
श्री साई सच्चरित्र
श्री साई सच्चरित्र
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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