Saturday, August 7, 2010

संदेश

एक के बाद एक दुखों का मूल कारण तृष्णा ही है। इसलिए एक विचारवान व्यक्ति को सांसारिक तृष्णाओं के आकर्षण से एकदम दूर रहना चाहिए सच्चा धन केवल वही है जिससे प्रसन्नता मिलती है संतोष ही वह धन है उसे सच्चा सुख कैसे मिल सकता है जिसके मन में शान्ति नहीं है?
Thirst is the primary cause for bringing one misery after another. Therefore, a thoughtful man should at once turn away from the temptation of worldly thirst. True wealth is only that which brings one happiness. Contentment is that wealth. How can there be happiness for one lacking peace of mind?

श्री साई सच्चरित्र



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