Tuesday, April 2, 2013

शनि देव की प्रसंता के लिये उपाये---


शनि देव की प्रसंता के लिये उपाये---
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शनि देव के वैदिक और लौकिक अनेकों उपाये हैं, जिनके करने पर जीव को शांति प्राप्त होती है! मख्य शनि देव का उपाये वैदिक रिती के अनुसार ही करना चाहिये, ऐसा करने पर शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं!
तंत्र कार्यों में शनिवार के दिन उच्चाटन कार्य " दूसरे को मारने के कार्य और बंधन कार्य" किया जाता है! 
शनि देव का दान किसी वृद्ध मनुष्य को देना चाहिये! काला जूता, नीलम, सुवर्ण, लोहा, साबुत काले माह, कुलथी, सरसों का तेल, काले-तिल, काले तिलों का तेल, काले-वस्त्र, कस्तूरी, काली भैंस, काले-फूल, नवंग " लौंग" टोपीदार, काले तिल के दिया जलाना, गंगा जल तथा कुछ दूध डालकर पश्चिम की तरफ मुंह करके पीपल की जड़ में देना शुभ होता है!
भोजन में उड़द के बने आटे की वस्तुयें, पंजीरी, कुछ तेल में पक्काई वस्तुयें काले कुते को देना " ध्यान रखना अपने घर का पालतू कुता बाहर जाकर गंदगी न खाता हो" और उड़द से बने पदार्थों का प्रयोग स्वयं भी करना चाहिये!
किसी का पहना हुआ जूता और काला कपड़ा भूल कर भी नहीं पहनना चाहिये!
शनिवार के दिन पति-पत्नी और अन्य स्त्री संग नहीं करना चाहिये! शनिवार के दिन गीला वस्त्र नहीं पहनना चाहिये और स्त्री को पुरुष संग करना चाहिये!
शनिवार के दिन तेल लगाकर स्नान करना चाहिये!
काला कम्बल दान देना शुभ हो!
लोहे का छल्ला बायें हाथ की बड़ी उंगली में धारण करना चाहिये! सुक्के नारियल "पानी वाला" को काले धागे "उन" से लपेट कर जो कद के बराबर हो, तेल और काले तिलों का टिक्का लगाकर, अपने सिर पर से चार बार घूमा कर व्हालाते पानी में बहा देना चाहिये!
जिस घर का द्वार पश्चिम दिशा की तरफ हो और अशुभ हो तो उस घर के मुख्य द्वार के पास एक फुट का गड्डा खोद कर उसमें काले सुरमें की रक छड लेकर दबाना शनि की प्रसंता के लिये शुभ होता है!
शनि देव का वास्तु दोष घर या उद्योग में हो तो बहुत अशुभ मना गया है!
शनि देव स्थूल भाव से चलन, वलन और आकुंचन पर प्रभाव होता है और शून्य भाव के अनुसार व्यान, समान, उड़ान, अपान और प्राण वायु पर प्रभाव होता है!
शनि देव के लिये सप्तधान्य---- मूंगी, उड़द, गेहूं, काले-चने, जौ, धान्य "तंदुल" कंगनी! अष्टगंध धूप -- अगर, छरीला, जटामासी, कर्पूर-कचरी, गुग्गल, देव दारू, गोघृत, सफ़ेद चन्दन!
अष्टगंध----- अगर, कस्तूरी, कुकुम, कर्पूर, चन्दन, टोपीदार लौंग, देवदारु!
शनि देव के लिये शनिश्चरी अमावस्या के दिन काले-तिल के तेल से ९ दीपक जलाने चाहिये! १, दीपक मंदिर में,२- दीपक तुलसी पर,३-दीपक, ४- एक दीपक शनि मंदिर में, ५-एक दीपक जहाँ पानी का स्थान हो, ६- एक दीपक हनुमान मंदिर में, ७-एक दीपक चौरस्ते पर,८-एक दीपक घर की बाहरी दिवार पर और ९- एक दीपक घर की छत पर जलाना चाहिये! दीपक जलाने से पाहिले घर केक सिर्फ एक आदमी को तिल के तेल में मुख देख कर भरने चाहिये, " जिस तेल में मुख देखा गया हो"!
अपने शरीर का वजन करके उसके तीन भाग काले तिल और चतुर्थ भाग शर्करा शनि के मदिर में जाकर देना चाहिये!
साढ़े सती के समय और गोचर शनि राशि परिवर्तन के समय ऐसा दान करना चाहिये!
शक्कर और तिल सहित ३० मोदक देने पर शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं!
शनि देव की जब तक दशा चलती रहे तब तक शनि को ३० मोदक का भोग लगाना या दान देना शुभ होता है!
शनि देव को नारियल और पेठे की बलि देनी चाहिये!
गायत्री मन्त्र--
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्न सौरि प्रचोदयात! शनि गायत्री मन्त्र सब से उत्तम कहा गया है!
पुराणिक मन्त्र-- ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनये नम:!

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