"हे श्री साईनाथ ! आपके ऋण हम किस प्रकार चुका सकेंगे? आपके श्री चरणों में हमारा बार-बार प्रणाम है। हम दीनों पर आप सदैव कृपा करते रहियेगा, क्योंकि हमारे मन में सोते-जागते हर समय न जाने क्या-क्या संकल्प-विकल्प उठा करते है । आपके भजन में ही हमारा मन लीन हो जाये, ऐसा आशीर्वाद दीजिये।"
(श्री साई सच्चरित्र)