Wednesday, November 11, 2015

Happy Dipawali (दीपावली)


!! दीपावली के दिन, माता को प्रसन्न करें और सब खुशियाँ पाओ -------!!
दारिद्रय-विनाशक धनदा प्रयोग----और महालक्ष्मी का आगमन
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दारिद्रता जीवन का अभिशाप है, पूर्णरूप से दारिद्रता को दूर करने के लिये अनेकों प्रयोग कहें हैं, जिनमें से एक दारिद्रय नाश प्रयोग है-------

सिद्ध लक्ष्मी-------
विनियोग---
ॐ अस्य श्री सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र मंत्रस्य, हिरण्यगर्भ ऋषि, अग्निर्देवता, त्रिष्टुप छंद, मम समस्त क्लेश, पीड़ा, दारिद्र्य निवारणार्थ ऐश्वर्य लक्ष्मी प्राप्त्यर्थं सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र जपे विनियोग:!
करण्यास----
ॐ सिद्ध लक्ष्मी अंगुष्ठाभ्यां नम:!
ॐ ह्रीं विष्णु हृदये तर्जनीभ्यां नम:!
ॐ क्लीं अमृतानन्दे मध्यमाभ्यां नम:!
ॐ अहेतमालिने अनामिकाध्यां नम:!
ॐ तेज प्रकाशीन्ये कनिष्ठिकाध्यां नम:!
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं ब्राह्मी वैष्णवी, रौद्री करतलकरप्रिष्ठाभ्याँ नम:!
हृदयादिन्यास---
ॐ सिद्ध लक्ष्मी हृदयाय नम:!
ॐ विष्णु हृदये शिरसे स्वाहा!
ॐ क्लीं अमृतानन्दे शिखायै वषट!
ॐ श्रीं अद्वैतमालिने कवचाय वौषट!
ॐ तेज प्रकाशिन्ये नेत्रत्रयाय वौषट!
ॐ ह्रीं क्लीं ब्राह्मी वैष्णवी रौद्री अस्त्राय फट!
ध्यान-----
ब्राह्मी वैष्णवी रौद्री षट भुजी च चतुमुखी!
त्रिनेत्रा खडगशूला च पद्मचक्र गदाधरा!!१!!
पीताम्बरधरा देवी नानालंकारभूषिता!
तेजपुंजवराश्रेष्ठा ध्यायेत बाल किमारिकाम!!२!!
ॐकार लक्ष्मी रूपेण हृदयं विष्णुमध्यय !
विष्णुमानन्द मध्यस्यं ह्रींकारा निजमव्ययम!!३!!
क्लीं अमृतानन्द हे च सदामाननन्ददायायिनी!
श्री द्वेतां त्रिशिरा शक्ति: मालिनी शत्रु मर्दिनी!!४!!
तेज प्रकाशिनी देवी वरदा भय नाशिनी!
ब्राह्मी वैष्णवी रौद्री कालिका रक्त संभावी!!५!!
अकार ब्रह्म रूपेण ॐ कार विष्णुमव्ययम!
म कार पुरुषं नामे देवी प्रणव मुच्यते !!६!!
सूर्य कोटि प्रकाशं च चन्द्रकोटि समप्रभम!
तन्मध्य निकार सूक्ष्मं ब्रह्मरुपी व्यवस्थितम !!७!!
ॐ कार परमानंद क्रीयते व् सुख: सुरा!
सर्व मंगल मांगल्ये शक्ति सर्वार्थ साधकम!!८!!
प्रथमे अम्बिके गौरी, द्वितीये वाश्न्वी तथा!
त्रितये कमला प्रोक्ता चतुर्थे सुंदरी जाया!!९!!
पंचमे विष्णुपत्नी च षष्ठं कात्यायनीति च!
सप्तमं चैव वाराही अष्टमं हरि वल्लभा!!१०!!
नवमंखडग्त्रिश्दाला दशमं देवी देवका!
एकादशं सिद्ध लक्ष्मी द्वादश्यां हंस वाहिनी!!११!!
एतत स्तोत्रमिन्द मन्त्रं य पठेत सततं नर:!
सर्वपापविनीर्मुक्तो नात्र कार्या विचारणा!!१२!!
एक मासं द्विमासं वा त्रिमासं च चतुर्थकम!
पञ्चमासं षट मासं च त्रिकालं च सदा पठेत!!१३!!
ब्राह्मण क्लेशहा दुखी दारिद्रय भय पीडिता!
जन्मान्तर सहत्रेषु मुच्यते सर्व किल्विशै:!!१४!!
अलक्ष्म्या लभ्यते लक्ष्मी अपुत्रो पुत्र वान्भवेत!
निर्धनोंधनमाप्नोति, शरु चोर भयं न च!!१५!!
शाकिनी भूत वैताला,व्याध्र चौर नियातिनी!
राजद्वारे सभा स्नाने कारागृह निबंधते!!१६!!
ईश्वरेण कृतं समानित्यं दारिद्र्यं न च बाधते !!१७!!
इति श्री ब्रह्मश्व विरचित सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र!
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