Thursday, August 5, 2010

संदेश

स्वयम को सही मानने का स्वभाव और सही ठहराना साथ- साथ चलते है। यह बहुत खतरनाक आदत है। जब तक मनुष्य का स्वयम को सही मानने और ठहराने का स्वभाव रहेगा, वह ध्यान और आध्यात्मिकता की ओर नही बढ सकता।
Self-justification goes hand-in-hand with self-assertive nature. This is a very dangerous habit. A man can never grow in meditation and spirituality so long as he has self-assertive nature with the habit of self-justification.

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ