Monday, July 26, 2010

संदेश

जैसे हम सागर की जितनी गहराई  मे जाएँगे,हम उसकी गहराई  मे छुपे वो  सारे रहस्यों को जानने मे सक्षम होते जाएगें जो उसकी गहराई  मे छुपे हैं, ठीक वैसे  नाम जाप करते हुए अपने अंदर बिराजमान सागर की जितनी गहराई  मे उतरते  जाएगें इस संसार को समझने मे हम उतने ही सक्षम  होते जाएगें, मानस जून हम जीवो की असली मंजिल पाने की सीढ़ी  का आखिरी चरण  है,अगर नाम जाप की कमाई करते रहे तो मंजिल तक पहुँच जाएगें और फिसल गए तो फिर से इस जनम-मरण के चक्कर  मे फंस जाएगें. जीव  को कोशिश करनी चाहिए की वो  नाम जाप करते हुए अपने सतगुरु का ही रूप बन जाए |

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ