Wednesday, June 30, 2010

मंजिल एक राह अनेक-

और जितने राही हो उतनी ही राहें निर्मित हो जाये तो कौन रोकने वाला है
यक़ीनन राहें विभिन्न होंगी तो तरीके भी विभिन्न होंगे
मुख्यता: खेल तो रुझान का है कि कौन कहाँ मंजिल माने
वस्तुत: जिसका जो अनुशरण करेंगे वह उनके द्वारा निर्मित राह पर ही बढेंगे
हर राह पर,,,,बीच बीच में,,,, मदारी भी मिलेंगे जो वही मंजिल मान कर बैठ गए
हो सकता है कि उनके खेल में हम आगे जाना या वापस आना ही भूल जाये
कौन मदारी अपने ग्राहकों से आगे जाने को कहेगा
यक़ीनन हमें ही इस बार कुछ तैयारियों के साथ चलना होगा
हमें अपने स्वभाव में भेद विज्ञान कि कला जाग्रत करनी होगी
हमें परमाणुयों से निर्मित हर पदार्थ (पुद्गल) के विज्ञान को जानना होगा
मिथ्यात्व को बढाने वाले कारणों को जानकार उनसे दूर रहना होगा

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

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Sai Aartian साईं आरतीयाँ